जिल -ए-इलाही की अदबो सुखन की, यहाँ बात कहिये बस अपने ही मन की, गुलाबों सिताबो की मनगढ़ कहानी, लगाओ यहाँ आग बरसाओ पानी जुमले तमाशो ये बाज़ारी रंगत खींचो अलापी लगाकर के संगत कथन से दिलों की ज़मीनों को छूना लगाकर ठहाके करो मौज दूना दिखाओ अदाकारियों का नमूना लगता है कैसे मुहब्बत में चूना ज़माने की दुश्वरियों से न डरना तुम्हारा जो मन हो वही आके करना......
उपरोक्त पंक्तियां हैं भाई गीतकार आशीष आनन्द जी की, जो हमारे साथ मिलकर आमंत्रित करते हैं आपको......। हमारे साथ वैसे तो पूरी कायनात है, लेकिन उनमें से कुछ एक नाम हैं, जिनका जिक्र आवश्यक है जैसे बड़े भाई हमारे संरक्षक श्री पंकज गुप्ता ‘पंकी भैया’, भाई श्री दिलीप कुमार जी चेयरमैन जगमग इंडस्ट्रीज, यूनिक सोशल वेलफेयर सोसायटी के सचिव भाई श्री अनुपम कुमार वर्मा जी, भाई श्री सिद्धार्थ कुमार जी अध्यक्ष इण्डियन स्टूडेंट पॉवर, भाई डॉ0 पीयूष कुमार जी तथा भाई श्री रविन्द्र कुमार जी -डायरेक्टर एस्कॉन इन्फो सिस्टम्स |
तो आइए, मिलते हैं एक दिन हम-आप और अपनी ही रंगत-संगत से रंगे-पुते सैकड़ों लोगों से और जानते हैं कि क्या उनकी जिन्दगी में “वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान” पंक्ति महत्वपूर्ण रही है। सुनते हैं कविता, गीत, गजलों को जिसे सुनकर उदास बैठी जिंदगानियाँ भी मुस्काने पहन लें, या फिर पलकों पर झरझर बारिश हो जाए। रैप और कॉमेडी सुनकर लोट-पोट हुआ जाये। एक ऐसा दिन जब नवोदित भी हों, वरिष्ठ भी हों और हम सब रचनाओं की भाव-गंगा में गोते लगाते हुए उन पलों को फिर से जींवत बनाएं, जो डायरी-किताबों में परत-दर-परत छिपा रखे हैं। क्योंकि साहिर लुधियानवी साहब ने कहा है -
कल और आएंगे नगमों की, खिलती कलियाँ चुनने वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले...... मैं आपका मित्र पंकज ‘कँवल’
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